(1) हार गयो जी मैं तो विनती कर क
पड़ी नहीं काना भणकार
(2) म्हे दुखिया ना चैन घड़ी को
थे तो जाणो सारी सार
(3) थां सं या भी नाहिं छानी
छः नही म्हारो और आधार
(4) देर करो थाणे जितनी करणी
सुणनी पडसी करुण पुकार
(5) म्हारै लाम थारे ढील घणी है
बेगा आवो नही करो ऊवार
(6) आलूसिंह जी थारों ध्यान लगाव
रोज कर थारों श्रृंगार
थारी कांई छः मनस्या कांई छः विचार सुणियो जी म्हारा लखदातार
स्वर: महाराज श्री श्याम सिंह जी चौहान
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